इबादत है तू मेरी : कविता – अलका अग्रवाल सिगतिया
जि़ंदगी नहीं ख़्वाब नहींफितरत है तू मेरी अक़ीदत नहीं हक़ीकत नहींआदत है तू मेरी रहबर मेरे जब था मेरे नालसमझ
Read moreजि़ंदगी नहीं ख़्वाब नहींफितरत है तू मेरी अक़ीदत नहीं हक़ीकत नहींआदत है तू मेरी रहबर मेरे जब था मेरे नालसमझ
Read moreकई बार अनुरोध किया था तुमनेदे दूं, तुम्हें अपनी कोई तस्वीरताकि जब मैं साथ नहीं तुम्हारे,बातें कर सको, मेरी तस्वीर
Read moreकहा तुमने करते हो बेपनाह मोहब्बत मुझसेमैंने मान लिया, करते हो बेपनाह मोहब्बत मुझसेजानते थे कि दुनिया का सबसे बड़ा
Read moreचिन्नीकविता व स्वर: अलका अग्रवाल, कवयित्री-कथाकार
Read moreपांडेजी और फेसबुक की दुनियाव्यंग्य: लालित्य ललित, व्यंग्यकारस्वर: अलका अग्रवाल, लेखिका-कवयित्री
Read moreबर्फ का पानीव्यंग्य: प्रेम जनमेजय, प्रख्यात व्यंग्यकारस्वर: अलका अग्रवाल, लेखिका-कवयित्री
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